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Thursday, June 3, 2010
ब्लॉगरों की भी डी-कंपनी... ये हो क्या रिया है?
अरे-अरे भाई लोग ये क्या कर रिए हो...? ब्लॉगिंग में भी गुंडागर्दी कर रिए हैं कुछ खुराफ़ाती। क्यूं भाई... कौन हो आप लोग... नहीं, मेरा मतलब है, क्या चाहते क्या हो आप लोग..? सीनियर ब्लॉगर, जूनियर ब्लॉगर, ये सब क्या सुन रिया हूं भाई? ये क्या तरीक़ा है? भाई लोगों ने अपनी एसोसिएशन भी बना ली है। मियां, कोई हड़ताल-वड़ताल करने का स्टंट भी करोगे क्या? अमां राजनीति करनी है तो Politics में जाओ... ब्लॉगिंग क्यों करते हो यारों।
भाईलोगों की डी-कंपनी सी चल रई दिक्खे। कलम को एके-47 बना लिए हो कै? अरे बावड़ों, जैसे दंबूक सै कागज पै लिक्खा ना जा सकै है ना, वैसे ही कलम से गोड़ी कोनी निकलै है। नी भरोसा तो फ़ायर कर के देख लो फिर। कमल तो हमेशा लिखने के काम ही आवे है। अरे..., लेखक हो...आतंकवादी हो कै? अरे भाया... राजनीति पै लेखन हुआ करे है, लेखन पै राजनीति कोणी।
वैसे jokes apart कहीं ऐसा तो नहीं कि कुछ आतंकवादी आजकल ब्लॉगिंग करने लगे हों? जूनियर ब्लॉगरों ने सीनियर ब्लॉगरों के छक्के छुड़ाए, सीनियर ब्लॉगरों ने जूनियरों की पैंट गीली की..., ये सब क्या है यार? अच्छा लिखो... जम के लिखो... सबको कुछ अच्छा पढ़ने को मिले। यहां गंद मत फैलाओ कलम के सिपाहियों। सिपाही हो सिपाही ही रहो, दाऊद क्यों बनते हो।
यार, तुम लोग भी ना कमाल करते हो। एक दूसरे को ही गाली बक रहे हो। क्यों भाई? अरे, कोई रास्ते में टांग अड़ाने तो आ नहीं रहा तुम्हारे। किसी की बात पसंद नहीं आ रही तो मत पढ़ो, मत करो उसपर टिप्पणी। और करना ही है तो मर्यादा के दायरे में रहकर करो। गाली बक कर क्या साबित करना चाहते हो? प्यार-मौहब्बत, शांति-सौहार्द, सद्भावना-भाईचारे पर ब्लॉग लिखते हो और दूसरों की किसी बात पर खुन्नस खाकर उसे गाली बकते हो। अरे जिसकी बात पसंद नहीं आई उसे भी प्यार से समझा दो यार। तुम सार्थक लिखो इसलिए ही तो तुम्हारे हाथ में कलम है, वरना बंदूक ना होती।
बंद करो ये डी-कंपनी यार।
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15 comments:
किसी की बात पसंद नहीं आ रही तो मत पढ़ो, मत करो उसपर टिप्पणी। और करना ही है तो मर्यादा के दायरे में रहकर करो। गाली बक कर क्या साबित करना चाहते हो?
विचारणीय प्रस्तुती और उम्दा सुझाव .....
भायो अभी तो दाउद की गैंग बनी है अभी तो छोटा राजन की गैंग भी बनेगी फिर रवि पुजारी भी आवेगा अभी इन्तेजार करो और देखो तमाशा
बड़े सु्थरे बिचार सैं आपके
सार्थक चिंतन,बेहतरीन सोच
विचारणीय पोस्ट
जो पूरा सोच विचार कर यह सब हँगामा कर रहे हों
उनके लिये आपका सँदेश एक गँद से अधिक कुछ और नहीं ।
श्वान को इत्र पर मोहित होते देखा है, कभी ?
मॉडरेशन वाले द्वार मैं नहीं खटखटाया करता,
पर आज के लिये माफ़ी चाहूँगा ।
honesty project democracy, veeru ji, lalit ji, rajeev ji, कमेंट के लिए आप सभी का धन्यवाद!
अमर जी, आप आए,
धन्यवाद!
लेकिन मॉडरेशन भी उन डी-कंपनी वाले श्वानों के चलते लगाया है, जिनका उद्देश्य सिर्फ दूसरों के ब्लॉग पर आकर बेवजह भौंकना है... माफ़ी चाहूंगा।
सार्थक बात यहाँ तो आतंकवाद न फैलाओ
सुन्दर आलेख
agreed
तुम सार्थक लिखो इसलिए ही तो तुम्हारे हाथ में कलम है, वरना बंदूक ना होती।
बिल्कुल सहमत !!
विदेश में होने के कारण एक महिने से ब्लागिंग से दूर थी लेकिन अब देख रही हूँ कि कुछ झगड़ा सा चल रहा है यहाँ, ऐसी कई पोस्ट आ चुकी। लगता है कि हम कुछ ज्यादा ही पारिवारिक हो गए हैं इसलिए भाई-भाई लड़ने लगे हैं।
विचारणीय पोस्ट
nice
सर ये सब चीजे इसलिए हो रही है, क्योंकि सर कुछ लोग अपने आप को lite में लाना चाहते है. वे लिखते ही है,सिर्फ टिपिनी पाने के लिए है. इसलिए उन्होंने "बदनाम हुए तो नाम ना हुआ'' वाला मुहावरा अपना लिया है. में तो इतना जनता हूँ, की आप जैंसे बड़े लोंगो के लेख पढने को मिलते है, और उन पर सीधी टिपिनी हो जाती है ये क्या हमारे लिए कम है. सुन्दर लेख सर
ईश्वर उन्हें माफ़ करें, क्योंकि वे नहीं जानते कि 'ब्लॉग' दरअसल होता क्या है! :)
सही कहा आप ने लोगो ने ब्लॉग क्या बना लिया कि अपनी मर्यादा भूल जाते है क्या लिखने लायक है क्या नही। बस लिखने लगते है और टिप्पड़ी ऐसा करते है कि पढिए तो समझ के परे भाई लोग क्या लिख रहे है।
wwwkufraraja.blogspot.com
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