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Thursday, June 10, 2010

दूसरों की पोस्ट पर गाली कौन बकता है..?

मेरे एक मित्र आजकल परेशान हैं। सामाजिक सरोकारों के चलते नाम का ख़ुलासा नहीं कर सकूंगा। अपने ब्लॉग पर अक्सर क्रांतिकारी विचार परोसते हैं। व्यवस्था पर चोट करता लेखन होता है उनका। लेकिन आजकल बड़े आहत हैं। आहत हैं, ऊल-जलूल टिप्पणियों से। उनकी पोस्ट पढ़कर उनकी सराहना करने वालों की भी कमी नहीं है। लेकिन गाली बकने वालों का क्या करें? मेरी तरह टीवी में काम करते हैं। सो ज़्यादातर टिप्पणियां तो उनके पेशे को अपमानित करने वाली होती हैं। कि अरे साहब ये टीवी नहीं ब्लॉग है, यहां कुछ गंभीर परोसिए। अरे आप ब्लॉग लिखने में समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं, जाकर कोई नाग-नागिन या भूतप्रेत की ख़बरें लिखो। बड़े भगत सिंह बनते हैं, फांसी पे चढ़िएगा का? कभी-कभी तो लोग गंदी-गंदी गालियां तक लिखकर भेज देते हैं। मित्र उन्हे डिलीट करते फिरते हैं।

फिर मैंने उन्हे अपने अनुभव के आधार पर बताया कि सबसे पहले तो अपने ब्लॉग पर comment moderation लगा लो, जिससे गालियां ससम्मान वापस लौटा सको। दूसरा इन गाली बकने वालों पर तनिक भी ध्यान मत दो, क्योंकि ये अभागे और अनाथ होते हैं। पक्के लावारिस। बिना नाम के गाली बकते हैं। noreply-comment@blogger.com की ID से। blogger.bounces.google.com के पते से और Anonymous के छद्म नाम से। ये वो हैं जो ख़ुद तो सार्थक लिख नहीं सकते, लेकिन सार्थक लिख रहे ब्लॉगरों को गाली बक कर स्वयं में गौरवान्वित होना चाहते हैं। ये बड़े ख़ुश होते हैं कि देखा, बैंड बजा दी ना। ये सही मायने में आलोचक होने की गलतफ़हमी के गर्भ में सड़ते रहते हैं। साहित्य की जननी इनके हाथ में कलम देखकर ख़ुद को लज्जित महसूस करती होगी।

मैं ऐसे टिप्पणीकारों को साहित्यिक सौहार्द को भंग करने वाले आतंकवादी कहता हूं। ये दूसरों की पोस्ट पर अपनी गाली देख कर बिलकुल वैसे की ख़ुश होते हैं, जैसे कोई आतंकवादी अपने किए विध्वंस की तस्वीर दूसरे दिन के अख़बार में देख कर ख़ुश होता है। शर्म आनी चाहिए ऐसे टिप्पणीकारों को जो दूसरों को प्रोत्साहित करने की बजाए इरादतन हतोत्साहित करते हैं।

उम्मीद से हूं कि मेरे मित्र भी जल्दी ही मेरी तरह ऐसी टिप्पणियों पर ध्यान ना देने की आदत डाल लेंगे। क्या करें साहब साहित्य के गांव में अब भू-माफ़ियाओं की घुसपैठ बढ़ने लगी है।

36 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सही और शानदार पोस्ट.... कई बातों से पूरी तरह सहमत.....

अजित गुप्ता का कोना said...

जब भी कोई ब्‍लाग पर गाली लिखता है तो नि:संदेह सभी को बुरा लगता है और वह इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने को मोडरेशन लगा लेता है। सलाह तो मुझे उचित लगी लेकिन एक बात समझ नहीं आयी कि यदि कोई मेरे ब्‍लाग पर गाली लिखता है तो जाहिर सी बात है कि मुझे ही लिख रहा है और मोडरेशन के बाद भी मैं तो उस गाली को पढ़ ही रही हूं तो फिर गाली देने वाला तो तब भी सफल हो ही गया ना।

Dev K Jha said...

एकदम सही...

राजीव तनेजा said...

पूरा ब्लोगजगत इन बेनामियों से त्रस्त है...

संजय पाराशर said...

mana khali dimag shaitan ka ghar hota hai.... kitu khali waqt me itni shandar post padkar to unhone kuchh achchh karne ki koshish krna hi chahiye...

shashikantsuman said...

I agree that the abusive language must not be used. But why bother about it , at least u r getting some comments .....
I welcome all types of comments on my blog no moderation, instant reply. so I appeal to all Gundas and Laphangas to come to my blog and write stronger abusive comments without any fear,...... Hahahaha hohohoho...

shikha varshney said...

ekdam sahi.

संजय भास्‍कर said...

कई बातों से पूरी तरह सहमत....

Randhir Singh Suman said...

nice

Udan Tashtari said...

बस, सही सलाह दी..नजर अंदाजी ही उपाय है मस्त रहने का.

ZEAL said...

I guess following few factors prompt a person to abuse;-

-Insecurity
-Inferiority complex
-Jealousy
-Rivalry
-some sort of bias and beliefs

Some are just sadists !

Divya

Gyan Darpan said...

राक्षस वृति हर युग में रही है तो अब कैसे ख़त्म होगी ?
इतिहास साक्षी है हर युग में इन राक्षसों से लड़ना पड़ा है अपनी सुरक्षा के लिए इसलिए अपने ब्लॉग पर सुरक्षा रूपी सांकल यानि टिप्पणी मोडरेशन ऐसे उत्पातियों के लिए बढ़िया उपाय है |

Bhavesh (भावेश ) said...

इंसान और जानवर में ये एक ही फर्क है की इंसान चाहे तो फिर दोहराता हूँ "चाहे तो" अपनी प्रकृति बदल सकता है. जो इंसान भेडिये के रूप में छुप कर उल्टा सीधा कह रहे है वो तो वैसे ही जानवर वाले कृत्य कर रहे है. उनसे ये उम्मींद करना की वो अपनी प्रकृति छोड़े बेमानी है. इसलिए ऐसे लोगो के बारे में सोचना अपनी उर्जा और समय का दुरूपयोग ही है. तुलसी दस जी ने रामचरित मानस में सत्पुरुष और दुर्जन व्यक्ति के सन्दर्भ में लिखा है "भलो भलाइहि पै लहइ लहइ निचाइहि नीचु।
सुधा सराहिअ अमरताँ गरल सराहिअ मीचु" यानी भला भलाई ही ग्रहण करता है और नीच नीचता को ही ग्रहण किए रहता है। अमृत की सराहना अमर करने में होती है और विष की मारने में. इसलिए ऐसे लोगो को नजरअंदाज करना ही उचित है.

honesty project democracy said...

बहुत ही सार्थक विषय और ब्लॉग ही नहीं पूरी इंसानियत को कलंकित करने वाले कृत्य की विवेचना करती पोस्ट |जैसा की भावेश जी ने कहा की भला भलाई ही ग्रहण करता है और नीच नीचता को ही ग्रहण किए रहता है,इस बात से हम भी सहमत हैं की ऐसे लोग जो छुपकर गाली देने का काम करते हैं उनसे नीच और कोई हो ही नहीं सकता और इनको एक न एक दिन इनके नीचता की सजा जरूर मिलेगी वह सजा बहुत ही भयानक होगी | ऐसे लोगों की वजह से पूरा ब्लॉग जगत शर्मसार होता है |

मह्फ़ूज़ अली said...

Agreed with Zeal....(divya ji...)....truly said....

Shah Nawaz said...

बिलकुल सही मुद्दा उठाया है, अक्सर बेनामी या फिर किसी दुसरे के नाम अथवा ब्लॉग का गलत प्रयोग करके उलटी सीढ़ी टिपण्णी की जाती हैं. ऐसे लोग अक्सर अपने मन की कुंठा निकलने के कारन ऐसे कुत्सित कार्य करते हैं.

आजकल विभिन्न ब्लोग्स पर मेरे नाम से भी कोई उलटी-सीढ़ी टिपण्णी कर रहा है. इसका पता मुझे अपने ब्लॉग के सतत देख कर लगा. जब मैंने देखा की कुछ लोग ऐसे लेखों से मेरे ब्लॉग पर आए जहाँ मैंने कोई कमेन्ट ही नहीं किया था, तो मेरा माथा ठनका. मैंने देखा कि अलग-अलग नामों से मेरे ब्लॉग का लिंक देकर उलटे-सीधे कमेंट्स लिखे गए थे.

वहीँ ब्लाग जगत से जुड़े हिन्दी लेखकों का भी अधिकतर समय एक-दूसरे की आलोचना करने में ही व्यतीत होता है। हालांकि लेखन जगत में आलोचना हमेशा से ही शक्ति का स्रोत होती रही है। लेकिन आजकल ना तो आलोचना का वह स्तर दिखाई देता है और ना ही लेखकों में आलोचना सहने और सुझावों को आत्मसात करने की ललक।

इस विषय पर मेरा लेख:
आलोचनाओं में व्यतीत होता समय

Nishant said...

बेनामी या छद्म नामी बनके गाली देने वालों का तो आप कुछ नहीं कर सकते पर उनका क्या करें जो आपको लक्षित करते हुए अपमानजनक पोस्ट लिकते हैं? पिछले दिनों यहाँ कई ब्लौगरों ने एक दूसरे को 'स्वस्थ हास्य' का सहारा लेकर कुत्ता, हिजड़ा, और भी न जाने क्या-क्या बना दिया.

अनुराग मुस्कान said...

...आप सभी की प्रतिक्रिया के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद!

@अजित गुप्ता जी, गाली देने वाला कभी सफल नहीं हो सकता और दूसरी बात ऐसी टिप्पणी पढ़ कर मन व्यथित तो होता है लेकिन कम से कम mmoderation के चलते गाली देने वाले की भावना का प्रचार-प्रसार नहीं हो पाता।

@शशिकांत सुमन जी, डरता तो मैं भी किसी से नहीं हूं, लेकिन ब्लॉग सार्थक लेखन का एक उपयुक्त मंच है, यहां ये सब शोभा नहीं देता। गाली देने वालों में हिम्मत हो तो मैं भी खुले मैदान में आने को तैयार हूं।

@ दिव्या जी, आपका आकलन बिलकुल सही है।

@ शाहनवाज़ जी, ये तो हद ही हो गई, ये मेरे लिए भी बिलकुल नया मामला है कि आतंकी ब्लॉगर साहित्य के बलात्कार के लिए किसी नियमित ब्लॉगर के नाम से आईडी बनाकर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं।

@ निशांत जी, एक-दूसरे को कुत्ता और हिजड़ा कहने वाले ब्लॉगरों के संबंध में क्या कहूं... वो क्या और किस मकसद से लिख रहे हैं ये वही बेहतर जानते हैं।

drsatyajitsahu.blogspot.in said...

you r right..............such people are doing blog crime............

Unknown said...

जरूरी है कि हम विषयों के आधार पर विवेकपूर्ण चर्चा करें ।

aarya said...

सादर वन्दे !
एक शायर ने इसी बात पर कहा है, कि
आज खुद को मैंने बड़े आसानी से मसहूर किया है
कि अपने से बड़े शख्स को गाली दी है.
रत्नेश त्रिपाठी

Arvind Mishra said...

मन से लिखा है मेरे मन की बात -"उम्मीद से हूं-" आप उम्मीद से कैसे हो सकते हैं ? कोई गलतफहमी हो रही है क्या ? हा हा !

राम त्यागी said...

आपने सही लिखा है कुछ हद तक. पर बुरा लिखने वाले का कुछ तो कारण रहा होगा !!

रही बात हिंदी साहित्य के भू माफिया की तो एल्क्ट्रोनिक मीडिया मुझे (इंडिया में) सबसे बड़ा भू माफिया लगता है. न्यूज़ होते हुए भी आप लोगों के पास न्यूज़ की कमी रहती है .

राम त्यागी said...

हाँ एक बात और, बेनामी और अभद्र टिप्पड़ी देने वालों के लिए moderation और ignorance जरूरी है.
पर कोई आपकी कोई कमी बता रहा है तो सुनिए उसे ...

Unknown said...

जब तक छिपा है तब तक बेनामी है

जिस दिन हाथ आ गया

वो दिन उसके लिए बहुत भारी होगा

हम शास्त्रार्थ भी कर सकते हैं और शस्त्रार्थ भी.........

चिन्ता नहीं इन कीड़ों की...........रेंगते रेंगते स्वतः ही ख़त्म हो जायेंगे........

जय हिन्दी !
जय हिन्द !

अनुराग मुस्कान said...

@ राम त्यागी जी को राम-राम, मैं आपकी टिप्पणी का जवाब लिख ही रहा था कि आपकी दूसरी टिप्पणी आ गई... अब ठीक है। मैंने भी moderation और ignorance को गाली देने वालों के लिए ज़रूरी बताया है, आलोचना करने वालों के लिए नहीं। आलोचनाओं का स्वागत होना चाहिए।

अनुराग मुस्कान said...

@ अलबेला खत्री जी, वाह क्या बात है...हम , 'शास्त्रार्थ भी कर सकते हैं और शस्त्रार्थ भी...', क्या ख़ूब कहा।

shashikantsuman said...

Freedom of expression is essential for any intectuality. gaalis are the common property of mankind . they r used to expose anger . people use galis very commonly to call their friends and to enjoy. some gallies r used by female equally .some gallies used by intectuals r -pseudo leftist ,lumpen .communal, fascist, Hippocrates ,opportunist, barasati medhak .chat,badachat, bhayakar chat, khaki nekar ,bhagava chaddi ,anjuman- member ,savarkar ki aulad ,advani ke bachhe,........ etxtrz.
uneducated and uncultured people mostly used to abuse in sex related terms...... And blooggers r inclined to animals related abusive adverbs.. mostly used terms are gadha..,kutta...
Hindi Bloggers are so innovative in there approach.. I have seen many blogs which totaly dedicated to galli galouch...
I don't like hindi with roman script and my computer has only roman script therefor I m writing my comments in english. sorry for that......

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

जैसा नाम, वैसा गुण (इस पर हमारे महफूज भाई बहुत अच्छा लेख लिख चुके हैं). आपकी मुस्कान वाकई बहुत अच्छी है. असली मुद्दे पर आयें, माडरेशन मुझे समझ में नहीं आता. जो गाली देता है, मैं उसे भी स्वीकारता हूं, देने वाले का मेंटल मेक-अप कैसा है, यह सभी पाठकों को पता चलता है. बेहतर हो कि अनानिमस का विकल्प हटा लिया जाये.यदि फर्जी आई डी से कोई गाली दे रहा है तो उसे गाली देकर तो नहीं ठीक किया जा सकता लेकिन उस बंदे की गाली के जबाव में सही बात लिखते हुये प्रति टिप्पणी दी जा सकती है. यदि आप सही हैं तो वह व्यक्ति निश्चित रूप से शर्मिंदा तो होगा ही, चाहे अकेले में ही क्यों न हो. बाकी मुंडे-मुंडे मतिभिन्न:.

anoop joshi said...

असल में सर ये लोग अनाथ नहीं, अभिशाप है सब जगह. क्या करे सर इनका कुछ नहीं कर सकते है.बस सर ये तो कु.... है, जो भोंक रहे है. थक जायेंगे तो चुप हो जायेंगे. बस सर आपसे और उन सर से भी अनुरोध है की उनके कृत्या पर एक पूरी पोस्ट लिख कर उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा ना दे.... धन्यबाद सर.

sanu shukla said...

जिससे गालियां ससम्मान वापस लौटा सको....ekdama sahi bhaisahab...

प्रवीण विस्टन जैदी said...

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Anonymous said...

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