tag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post4264095599583534850..comments2023-10-08T01:49:37.369-07:00Comments on चौथा बंदर: माफ़ करना बिहारी भाइयों...अनुराग मुस्कानhttp://www.blogger.com/profile/07986970798962902342noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-75589707223789040472010-06-11T07:55:14.354-07:002010-06-11T07:55:14.354-07:00....आपको बुरा लगा Anonymous जी, माफ़ी चाहता हूं, आ.......आपको बुरा लगा Anonymous जी, माफ़ी चाहता हूं, आप कौन हैं ये तो मैं नहीं जानता लेकिन हैं मेरे आप-पास के ही। आप बिहारी है इसलिए आप बुरा मान गए वरना आपसे ज़्यादा तो हम यूपी वाले निशाने पर रहते हैं। मज़ाक समझते हैं ना आप, लेकिन शायद चुटकी और कटाक्ष में अंतर करने में कन्फ्युज़िया गए तनिक। आप चुटकी को चांटा समझ बैठे। आप अपना नाम बताने की हिम्मत कर लेते तो अगली बार से आपके सामने मज़ाक avoid कर पाते हमलोग।अनुराग मुस्कानhttps://www.blogger.com/profile/07986970798962902342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-78728805332984148202010-06-11T04:20:30.553-07:002010-06-11T04:20:30.553-07:00प्रिय अनुराग, आजकल जमाना इतना बदल गया है कि हम अब ...प्रिय अनुराग, आजकल जमाना इतना बदल गया है कि हम अब लेखनी भी सिर्फ मजे लेने के लिए करने लगे है,और इसका ठीकरा हम फोड़ते है काम पर....कहते है कि काम इतना तनाव वाला है कि अगर हम आपस में मजाक नही करे तो इस तनाव में जीना मुश्किल हो जाएगा। पहले तो सरदार और बिहारी सिर्फ चुटकुलों में मिलते थे लेकिन अब हमारा मजाक इनके बगैर अधूरा सा लगता है। हद तो तब हो जाती है जब हम मजे लेने के चक्कर में संवेदना की हदो को पार कर जाते है। अब हम सिर्फ मजाक ही नहीं करते बल्कि अपनी कल्पनाशीलता को शब्दों का रूप देकर थोड़ी देर के लिए मजे ले लेते है। मेरे इस कमेंट को लेकर आप ये मत सोचना कि मेरी भावनाओं को ठेस पहुंचा है और मैं इस पर सफाई दे रहा हूं। मुझे अफसोस तब होता है जब हम जैसे पत्रकार ऐसा करते है। जिनकी सोच से समाज का एक खास वर्ग अपनी सोच को बनाता है। जब हमारी सोच ही ऐसी हो जाएगी तो उस वर्ग का क्या होगा इसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है। जब बात ज्यादा बढ़ जाती है तो कहते है भाईयों मुझे माफ करना। पहले किसी को तमाचा मार दो और फिर कहो कि माफ कर दो। भाई दिल पे मत लेना.....मै तो बस ये बताने की कोशिश कर रहा था कि कल तक हमारा स्ट्रेस बस्टर शाम को पार्क में घूमना और अपने घरवालों के साथ चाय पीना होता था लेकिन अब तो सुबह की जौगिंग और शाम की चाय जब दफ्तर में पीनी पड़ेगी तो किसी न किसी की बलि तो चढ़ानी ही पड़ेगी न !!!!!!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-44119027126721445372010-06-03T07:54:08.459-07:002010-06-03T07:54:08.459-07:00wo PAPUNA wala artical achha laga .........aap kya...wo PAPUNA wala artical achha laga .........aap kya kehte hai sir ji :)<br /><br /><br />hahahahahahha........ 9711540791Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-36701901880907410702010-05-31T05:36:49.080-07:002010-05-31T05:36:49.080-07:00हा हा!! मजाक में लिए. :)हा हा!! मजाक में लिए. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-28037472047375251952010-05-30T22:48:11.207-07:002010-05-30T22:48:11.207-07:00अनुराग, इस पोस्ट में आपका केवल "मुस्कान"...अनुराग, इस पोस्ट में आपका केवल "मुस्कान" दिखा अनुराग नहीं !<br />अब हम" स्टार टीवी" पर मुस्कान बिखेरे ,या उसके एंकर {आप जैसे } पर.<br />या फिर आपके ८ साल के मिडिया सफ़र पर !संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-9551556742845120812010-05-30T20:46:06.239-07:002010-05-30T20:46:06.239-07:00माफ़ करना बिहारी भाइयों...
आपका यह शीर्षक ही आपके ...माफ़ करना बिहारी भाइयों...<br />आपका यह शीर्षक ही आपके विचारों और अभिव्यक्तियों की कहानी कह रहा है |<br />आशा है आप ऐसे ही लिखते रहेंगे ,हमारी शुभकामनायें आपके साथ है ?honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.com