tag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post8217002111840679674..comments2023-10-08T01:49:37.369-07:00Comments on चौथा बंदर: मानो या ना मानो... रावण भी एक ब्लॉगर था।अनुराग मुस्कानhttp://www.blogger.com/profile/07986970798962902342noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-45388497745184987192010-08-09T11:54:26.281-07:002010-08-09T11:54:26.281-07:00anuraag it is really good one. all the time i oppo...anuraag it is really good one. all the time i oppose for that but nobody were agree with me but after ravish and you that topic come out.thanks for that.we should read "vyam rakshamh" best book about ravan.प्रवीण विस्टन जैदीhttps://www.blogger.com/profile/05423269602943612763noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-84873172200921085262010-06-18T02:36:17.663-07:002010-06-18T02:36:17.663-07:00कहते है कि रावण सर्वगुण संपन्न था!.. तो ब्लॉगर भी ...कहते है कि रावण सर्वगुण संपन्न था!.. तो ब्लॉगर भी अवश्य ही रहा होगा!...काश कि उसका एक भी ब्लॉग हम पढ पातॅ!.... बढिया व्यंग्य है अनुराग जी, धन्यवाद!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-60092891672858376772010-06-14T12:58:26.627-07:002010-06-14T12:58:26.627-07:00:) :) :)
bahut badhiya!:) :) :)<br /><br />bahut badhiya!Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-10879922931185900472010-06-14T00:37:13.157-07:002010-06-14T00:37:13.157-07:00Bhaut khub sir,
plz sir read my latest post about ...Bhaut khub sir,<br />plz sir read my latest post about similiar this matter."भगवान को लालच ओर डर का एक बिंदु बना दिया है" at anojoshi.blogspot.comanoop joshihttps://www.blogger.com/profile/14146375128512331870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-14430850474055056852010-06-13T08:18:40.118-07:002010-06-13T08:18:40.118-07:00वाह-वाह अनुराग जी क्या शीर्षक है,शानदारवाह-वाह अनुराग जी क्या शीर्षक है,शानदारसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-15828998826503573002010-06-13T06:13:07.572-07:002010-06-13T06:13:07.572-07:00संगीता जी ने बहुत काम की बात लिखी है यहां, रावण को...संगीता जी ने बहुत काम की बात लिखी है यहां, रावण को हीरो बनाकर रामायण की रचना की गई होती तो हमारे लिये रावण हीरो होते। रावण ने सीता का अपहरण किया और फिर उनकी सहमति का इंतज़ार। राम ने सीता के लिये युद्ध लड़ा और फिर जंगल भेज दिया, अपनी प्रजा के धोबी की बात पर यकीन था अपनी बीवी पर नहीं। हाय राम।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-24873514144678988022010-06-13T04:14:29.449-07:002010-06-13T04:14:29.449-07:00अच्छाइया और बुराइयाँ तो सबके भीतर होती है भाई साहब...अच्छाइया और बुराइयाँ तो सबके भीतर होती है भाई साहब..!!....बस अंतर इतना ही है की जिसकी अच्छाई बुराई पर जीत जाती है वो राम हो जाता है....और जिसकी बुराई अच्छाई पर जीत जाती है वो रावण हो जाता है...sanu shuklahttps://www.blogger.com/profile/18043545346226529947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-37567656417666932232010-06-13T02:30:45.075-07:002010-06-13T02:30:45.075-07:00असहमत होना अच्छी बात है...आगे गुंजाइश रहती है सहमत...असहमत होना अच्छी बात है...आगे गुंजाइश रहती है सहमत होने की या विचार न मिलें तो असहमत बने रहें...लेकिन एक बात और <br />पहले जिस पर उंगली उठाएं उसके बारे में गहराई से जान लेना ज़रूरी है...बेहतर होगा आप रामायण काव्य और वो रामायण जो हमारे जीवन में बसा है उन्हें अलग करके देखें...जितनी बार डुबकी लगाएंगे भारतीय समाज से उतनी ही चीजें मिलेंगी...वरदान मांगूंगा नहींhttps://www.blogger.com/profile/05416043012736859566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-20351151426642990132010-06-12T06:19:18.031-07:002010-06-12T06:19:18.031-07:00धर्म ही क्यूं .. इतिहास की पुस्तकों का भी जो भाग...धर्म ही क्यूं .. इतिहास की पुस्तकों का भी जो भाग सर्वसुलभ होता है .. अधिकांश लोग उसी के बारे में जानकारी पाते हैं .. बडे बडे लेखक अपने दृष्टिकोण के अनुरूप ही इतिहास में से सामग्रियां ढूंढकर लाते हैं .. जब कोई किसी विषय में डूबे नहीं .. पूरा ज्ञान कहां मिल पाता है ??संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-74843593284893414472010-06-12T06:13:15.956-07:002010-06-12T06:13:15.956-07:00हम भी राम से सहमत नहीं .:)पर आपकी काफी बातों से सह...हम भी राम से सहमत नहीं .:)पर आपकी काफी बातों से सहमत हैं . रोचक प्रस्तुति.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-2290797109325534612010-06-12T05:40:22.635-07:002010-06-12T05:40:22.635-07:00बेहद सटीक सोच का परिचय दिया है आपने इस आलेख के माध...बेहद सटीक सोच का परिचय दिया है आपने इस आलेख के माध्यम से ! जो गलत है वह गलत है चाहे रावण करे या राम !<br />बधाइयाँ और शुभकामनाएं !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-80994971702812493882010-06-12T05:20:33.295-07:002010-06-12T05:20:33.295-07:00असहमत होना प्रगतिशीलता की निशानी है. वैसे भी महानत...असहमत होना प्रगतिशीलता की निशानी है. वैसे भी महानता असहमति से ही जनम लेती है. राम को तो गाली देकर भी लोगों ने सुर्खियां बटोरी हैं, राम का चरित्र ही ऐसा है. तुलसी बाबा बल्कि कहिये कि महर्षि बाल्मीकि ने क्या खूब चरित्र उकेरा. राम तो गुणों की खान थे ही, लेकिन रावण के चरित्र से भी प्रेरणा पाई जा सकती है कि दूसरे की स्त्री पर निगाह नहीं रखना चाहिये. बात यह है कि हम ग्रहण क्या करना चाहते हैं? अच्छाई या बुराई.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6444666846390533658.post-23118330163021361452010-06-12T05:11:37.996-07:002010-06-12T05:11:37.996-07:00वाह-वाह अनुराग जी क्या शीर्षक है,शानदार ...रही बात...वाह-वाह अनुराग जी क्या शीर्षक है,शानदार ...रही बात नायक और खलनायक की तो हर व्यक्ति के अन्दर नायक और खलनायक मौजूद है बस यह बात महत्वपूर्ण है की खुद व्यक्ति अपने अन्दर के किस किरदार को ज्यादा तवज्जो देता है और ऐसा देश ,काल परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है ,दुर्भाग्यजनक और शर्मनाक है की आज देश और समाज में हम खलनायक के पुतले के रूप में रावण को तो जलाते हैं लेकिन असल रावण ये देश के भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाप बोलने से भी परहेज करते हैं ? आज हमें विजयादशमी पर रामायण के रावण की जगह इस भारत देश को नरक बनाने वाले असल रावणों के पुतलों को जलाने की परम्परा की शुरुआत करने की जरूरत है ...honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.com