अबदुल्ला दीवाने का चिट्ठा...
लख-लख बधाइयां। चिरंजीव अभिषेक और सौभाग्यकांशिनी ऐश्वर्या की शादी के निमंत्रण बंटने की खबर से रोमांचित हुआ जा रहा हूं। स्वाभाविक भी है, भारतवासी हूं, जरा-जरा सी बात पर रोमांचित हो जाया करता हूं। बिग बी से लेकर केबिल टीवी की रिपोर्टर तक मुझे रोमांचित ही तो कर रहा है। रोज मैं किसी न किसी बात पर रोमांचित हो ही जाता हूं। मैं दोनों ही स्थितियों में रोमांचित रहता हूं। टीवी ऑन होने पर भी और टीवी ऑफ होने पर भी। मेरा रोमांचित होना छोटे-बड़े खबरिया चैनलों के लिए टीआरपी का अचूक फंडा बन गया है। आखिर मैं रोमांचित क्यों न होउं। यह मेरे रोमांच का ही प्रताप है जो अभिषेक और ऐश्वर्या की फिल्मों से ज्यादा उनकी शादी हिट हो रही है। अब शादी का फार्मूला फिल्मों में भी काम देगा। फिल्में भी हिट होंगी। खैर, मुझे तो वैसे भी फिल्मों से ज्यादा दिलचस्पी अभिषेक भईया और ऐश्वर्या भाभी की शादी में है। हां, एक जमाने में मैं भी खूब फिल्में देखा करता था स्कूल-कॉलेज में, क्लॉस से उड़ी मार कर। फिल्में देखने का मन तो अब भी करता है लेकिन महंगी टिकट मेरी औकात से बाहर हो चलीं हैं। पहले ब्लैक में भी टिकट खरीदने की औकात हुआ करती थी, अब तो महंगाई ने बुकिंग खिड़की से भी टिकट खरीदने की हिम्मत नहीं छोड़ी है। ऐसे में इज्जत बचाने को अक्सर कह देता हूं कि अब फिल्मों में दिलचस्पी ही नहीं रही।
सच पूछिए तो मुझे फिल्में न देख पाने का मलाल भी नहीं है क्योंकि इधर मैं नामी-गिरामी लोगों की आलीशान शादियों में शरीक होकर ही खुश हो लेता हूं। खबरिया चैनलों के संवाददाताओं के साथ मैं न जाने कितनी ही शादियों में दीवाना हो चुका हूं। अपने वीरू की शादी में तो मैं टीवी के सामने अपने बिस्तर पर खड़ा होकर देर तक नाचा भी था। क्या कहा, कौन वीरू? अरे, वीरू को भूल गए आप? अपना नजफगढ़ का सुल्तान वीरेन्द्र सहवाग। ला हौल विला कूवत, क्या जमाना आ गया है, बताईए आप लोग अपने वीरू को भूल गए। बिलकुल वैसे ही जैसे वीरू क्रिकेट खेलने भूल गया। चलिए, दूसरी शादी की बात करता हूं। लिज हर्ले और अरुण नायर की शादी में तो टीवी के सामने बैठ कर तीन दिन का वासी भोजन करना भी मुझे किसी पंच सितारा होटल के भोजन जैसा आनंद प्रदान कर रहा था। मैं टीवी के और करीब आकर भोजन करने लगा। यूं लगा मानों लिज से सट कर भोजन कर रहा हूं।
सच्ची कहता हूं, अपने अभिषेक भईया और ऐश्वर्या भाभी की शादी को लेकर भी मैं दीवाना हुआ पड़ा हूं। कहां होगी शादी, कैसी होगी शादी, मेरे अलावा और कौन-कौन आएगा, अभिषेक भईया कब-कब क्या-क्या पहनेंगे, ऐश्वर्या भाभी का लंहगा कैसा होगा, वगैरह-वगैरह। अब मुझे टीवी पर ऐसी खबरों के अलावा कुछ भाता ही नहीं। टीवी के एक तरफ बेगानी शादियां हैं और दूसरी तरफ मैं अबदुल्ला दीवाना। मेरी बधाई स्वीकार हो अभिषेक भईया और ऐश्वर्या भाभी।
4 comments:
बधाई हो दादा.. आपके भैया और आपकी ही भाभी को. शादी के बाद की ख़बरों को जुगाड़ने का क्या प्लान बनाया है ? सुना है वेनिस में हनीमून की तैयारी है. कोई स्टिंग विस्टिंग का प्लान तो नहीं दादा?
वैसे आप मीडिया से जुड़े हैं यह जानकर प्रसन्नता हुई और उससे भी ज़्यादा आपका हिन्दी चिट्ठा देखकर .. बधाई हो स्वागत है चिट्ठाजगत में.आशा है कि आगे लेख पढ़ने मिलेंगे.
आपके भाई भाभी की शादी की आपको बधाई !वैसे आमतौर पर भाई की शादी भाभी से ही होती है । आशा है इस अवसर के लिए आपने उपयुक्त कपड़े, जो भंगड़े में पैरों में उलझे नहीं, सिलवा लिए होंगे । भंगड़े के कुछ नए स्टेप भी सीख लिए होंगे । और कोई आए न आए, हम तो इस शादी में अवश्य आएँगे । फ्रिज भर खाना तैयार है ।
सो मिलते हैं शादी में !
घुघूती बासूती
वाह मियां दोनो हाथों से लड्डू लूट रहे हो, पहले टीवी में ऐसी खबरें दिखवा दिखवा कर (मीडिया से हो थोड़े छींटे तो पड़ेंगे ही ;), ज्यादा पड़ गये तो साफ कर लेना)। फिर ब्लाग में ऐसी खबरों में टसवें बहा बहा कर। सही लिखा था आपने दोनो ही अवस्था में रोमांचित होते हो। घन्य हो गुरू, चित भी मेरी पट भी मेरी। जय हो
Laddu hamen bhi bhejana na bhulana
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