अरे भई... ये ए. आर. रहमान कौन है? क्योंकि जिस रहमान को हम जानते हैं वो तो इस देश का सबसे रचनात्मक संगीतकार है। सबसे महान। और हम ये भी जानते हैं कि एक कलाकार तभी महान बनता है, जब वो एक अच्छा इंसान हो। रहमान भी इसलिए महान हुए। लेकिन ये रहमान कौन है? ये ‘ओ...यारो ये इंडिया बुला लिया...’ वाला। ये वो रहमान तो नहीं है। कहीं से भी नहीं है। ये वो ऑस्कर लाने वाला रहमान हो ही नहीं सकता।
अख़बारों में ख़बर छपी कि रहमान ने कॉमनवेल्थ गेम्स का एंथम बनाने के लिए 15 करोड़ रुपयों की मांग की। सौदा साढ़े पांच करोड़ में पटा। और बन गया, ‘ओ...यारो ये इंडिया बुला लिया...’। उम्मीद थी कि रहमान जादू कर देंगे। जैसा कि वो करते आए हैं। उम्मीद थी कि शकीरा के वाका-वाका की नानी याद आ जाएगी। लेकिन हो गया अपना ही टांय-टांय फिस्स। अब थू-थू हो रही है। सवाल उठ रहे हैं कि इस गीत का मुखड़ा ही बेहद अजीबोग़रीब है। इसमें हिन्दी ही सही नहीं है। ना संगीत की कसौटी पर खरा, ना गीत की कसौटी पर और ना रोमांच की कसौटी पर।
कॉमनवेल्थ गेम्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा इस गीत को सुनकर भनभना रहे हैं। कांग्रेस वाले भी मुंह बिचकाए घूम रहे हैं। पता नहीं शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी और उनके मंत्री समूह ने इस गीत को पास कैसे कर दिया?
लेकिन शिकायत इन राजनेताओं से नहीं है। इनकी तो ज़ात ही ऐसी है। शिकायत तो रहमान से है। जो 15 करोड़ और साढ़े पांच करोड़ के गीत में फ़र्क कर गए। कॉमनवेल्थ गेम्स का एंथम बनाने के लिए रहमान पर कोई दबाव नहीं था। कोई मजबूरी भी नहीं थी उनकी। मना कर देते। नहीं बनाऊंगा गीत अगर 15 करोड़ से एक पैसा भी कम दोगे तो। कम से कम अपने फ़न और देश के साथ धोखा करने के इल्ज़ाम से तो बच जाते। पंद्रह से साढ़े पांच करोड़ की बार्गेनिंग में अपना स्तर भी गिरा लिया। और अगर इतने ही महान हैं रहमान तो देश के सम्मान और गौरव(?) की ख़ातिर मुफ़्त में ही बना देते गीत। बिना पैसे और पुरुस्कार का लालच किए। तब वो शायद और भी महान कहलाते। पैसा कमाने के और भी विकल्प और अवसरों की कमी तो है नहीं रहमान को।
लाख़ों-करोड़ो के फेर से कहीं ऊपर उठ चुके रहमान ने साढ़े पांच करोड़ में बनाया भी तो क्या, ‘ओ...यारो ये इंडिया बुला लिया...’। मतलब ये कि अगर डील एक करोड़ में तय होती तो क्या रहमान कोई ‘भोजपुरी’ गाना दे देते। दे ही देते शायद। वैसे भी रहमान कोई भोजपुरी गाना बनाएंगे तो कम से कम लागत तो एक करोड़ ही आएगी। तामझाम तो पूरा लगाएंगे ही ना। देखा आपने, तंज़ ही तंज़ में कितनी सीरियस बात सामने आ गई। सीरियसली कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए कोई भोजपुरी गाना ही होना चाहिए था। इससे एक तो हिन्दुस्तान की इस अहम क्षत्रीय भाषा को एक जायज़ मुकाम, अंतर्राष्ट्रीय पहचान और सम्मान भी मिल जाता और दूसरा भोजपुरी गीत बेशक़ रहमान के ‘ओ...यारो ये इंडिया बुला लिया...’, से कहीं बेहतर भी होता।
15 comments:
सही कहा आपने, रहमान ने अपने नाम के अनुरूप कम नहीं किया ......
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/
बिलकुल सही कहा अनुराग सर..दरअसल ये रहमान शोर कर रहा है..ऐसा लग रहा है जैसे एक साथ ढेर सारे बच्चे चीख-चीख के रो रहे हों..कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों की तरह ही इसके थीम सॉन्ग की भी हेल्थ ठीक नही है..यहाँ भी वेल्थ के साइड इफेक्ट्स का असर है..
मैंने भी सुना वो गाना. मुझे तो बोल भी समझ नहीं आये.. संगीत भी शोर जैसा ही था.
रहमान की शकीरा से कोई तुलना ही नहीं की जा सकती...शकीरा ने वाका-वाका के दम पर पूरे विश्व को हिला कर रख दिया और रहमान देशवासियों को भी संतुष्ट नहीं कर पाए
you are right anurag. actually this is commonwealth game so everyone is earning wealth in common way.
कांग्रेस को सही में आम जनता की हाय लग गई है ..इतने घोटालो के बाद हर बात पर मिटटी पलीद हो रही है,इस खेल ने सारे खेलों का पर्दाफाश कर दिया ..रही बात रहमान की तो सचिन भी हर पारी में शतक नहीं बना सकते ...
सही मायनों में'कॉमनवेल्थ गेम्स'का'शुक्रिया'अदा करना चाहिए ...lइसका होना'ही बहुत सारे लोगो की ऐसी ऐसी.. पोल खोल रहा है या हकीकत सामने ला रहा है जो शायद इसके 'नहीं' होने पे हम कभी भी समझ ही नहीं पाते.... l मैं तो कहती हूँ कि ऐसे 'आयोजन'समय समय पे होते ही रहने चाहिएl
आप के विचार अपनी जगह सही है...लेकिन मेरे विचार कुछ अलग है....बात का बतंगड में जाइए..धन्यवाद!
रहमान को हमेशा ज़रुरत से ज़्यादा चढ़ा दिया जाता है.. लेकिन हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए की रहमान जैसा संगीतकार कभी अपने पेशे के साथ इस तरह का खिलवाड़ जानबूझ कर नहीं करेगा.. अगर प्रश्न यहाँ पर देश के सम्मान का है, तो कौन सा बचा रखा है कलमाड़ी एंड कंपनी ने ??
आपकी पोस्ट अखबारी खबर पर निर्भर है पहले उसकी ही सच्चाई को परखना चाहिए | दुसरे इस गेम में जुड़े सभी लोग जब अपने मेहनत की कीमत वसूल रहे है सेना भी वहा जो काम करने वाली है वो भी उसके लिए पैसे ले रही है तो रहमान क्यों ना वसूले क्या आप और हम देश के नाम पर कोई काम मुफ्त में करेंगे नहीं ना तो रहमान से ये उम्मीद क्यों | रही बात संगीत की तो भाई पसंद अपनी अपनी आप को जय हो अच्छा लगा जिस पर उन्हें आस्कर भी मिला पर मेरे साथ ही काफी लोगों को वो कोई खास नहीं लगा यहाँ भी वो पहले इतना प्रसिद्ध नहीं था जितना की आस्कर मिलने के बाद हुआ | रहमान के संगीत की ये बात तो पुरानी है की शुरू में उसके शब्द समझ में नहीं आते है बाद में अच्छा लगने लगता है | और फिर उसे मंत्रियो के समूह ने ही मंजूरी दी ना यदि उन्होंने इसे ना मंजूर कार दिया होता तो वो कोई और गाना दे देते |
बहुत खूब लिखा अनुराग बाबू! अगर किसी नए कलाकार को मोका दिया होता तो शायद क्या पक्का ही बहुत ही बढ़िया गाना लिखा और गाया जाता और वो भी फ्री में ! अब रहमान साहब तो वैसे ही विदेशी चक्करों में पड़ चुके है! उन्हें कहाँ से भारत की पड़ी है! तभी तो किसी ने खूब कहा है कि बाप बड़ा न भईया सबसे बड़ा रूपया! और वैसे भी जैसे सरकार ने रूपए के नए चिह्न के लिए पूरे देश से आईडिया माँगा वैसे ही कामन वेल्थ के लिए भी तो कर सकते थे! परन्तु सरकार ये सब करती तो फिर इसमें खाती कहाँ से ????
I also agree that if the Govt itself is making crores out of this then why not Rehman...atleast he asked for the amount he deserves...
हा वास्तव में एंथम दमदार नहीं है भाईसाहब चारो तरफ आलोचनाये ही हो रही है ....मुझे भी कुछ खास नहीं लगा ...!!
commen wealth games ka naam badal kar. "not anything commen games" rakh dena chayiye.
क्या ही अच्छा होता कि रहमान जैसों के भरोसे ना रहकर किसी शास्त्रीय संगीतज्ञ से बनवाया जाता.. भारतीय संगीत की क़द्र तो होती..
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