कल फैसले का दिन है। राम और रहीम दोनों कटघरे में होंगे। विडंबना ये है कि राम और रहीम दोनों को ही फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। सियासतदानों की चाल में फंसे राम-रहीम कल जुदा हो जाएंगे। या तो राम रहेगा या रहीम। दोनों का एक साथ रहना कुछ फिरकापरस्तों को मंज़ूर नहीं है। ज़मीन पर मालिकाना हक़ को लेकर अदालत फ़रमान सुना देगी। जिन मालिकों के हक़ में फैसला आएगा वो भी ज़मीन को ना तो स्वर्ग ही ले जा पाएंगे और ना जन्नत में। नरक और दोज़ख में भी नहीं ले जा पाएंगे। लेकिन फ़ैसले को लेकर उनके ख़ून में उबाल है।
रहनुमाओं का ख़ून खौल रहा है, तो आम आदमी की रगों में फैसले को लेकर ख़ून जमता जा रहा है। लोग राशन-पानी जमा कर रहे हैं। जिनके लिए मंदिर-मस्ज़िद से ज़्यादा दो जून की रोटी ज़रूरी है वो परेशान हैं। उनका पेट ना मंदिर भरता है ना मस्ज़िद। कल क्या होगा किसको पता। लेकिन अनिष्ट की आशंका से सबकी आंखे और बाज़ू फड़फड़ा रहे हैं।
जो शिखंडी इसे जन भावनाओं के सम्मान की लड़ाई बता रहे हैं, वो भी जानते हैं कि जन भावनाएं केवल शांति और सौहार्द से जुड़ी है, मंदिर-मस्ज़िद से नहीं। कल का फैसला क्या होगा? फैसले के बाद क्या होगा? कोई नहीं जानता। जिन सफ़ेदपोशों ने कभी मंदिर-मस्ज़िद का सम्मान नहीं किया, वो कल आने वाले अदालती फैसले का सम्मान करने की बात कर रहे हैं।
मेरी मां पूछ रही है कि अगर सबको शांति ही चाहिए और सब फैसले का सम्मान ही करने वाले हैं, तो देश में हाई अलर्ट क्यों है? क्या जवाब दूं....?
14 comments:
Don't know what to say :(
निःसंदेह आजादी के बाद से ही भारत देश का प्रत्येक नागरिक माननीय न्यायालय के हर फैसले का सम्मान करता आया है...और निश्चित ही भविष्य में भी करेगा.... यदि न्यायालय की किसी बात को पीठ दिखाई है तो देश के कर्णधारों ने.... जैसा की मैंने कहीं कहा है की अंग्रेजो के खेलों के नाम पर हजारों करोड़ पानी में बहाए जा रहे है...किन्तु माननीय उच्चतम न्यायालय के किसी आदेश के बाद भी अतिरिक्त पड़ा .. सड़ता हुआ गेहूं गरीबों को कम दाम या मुफ्त में नहीं दिया गया....!!!!!!!!!
मां का सवाल सही ही तो है। विश्वास करेंगे आप, कईयों को याद ही नहीं था कि, विवादित ढांचे को लेकर कोई फैसला आना है, और याद दिलाया तो यूं दिलाया कि, बाप रे। इसे सामान्य तरीके से ही लिए जाने की जरूरत थी। बल्कि अगर दंगा हूआ तो इसके लिए टी आर पी की जंग में उलझे चैनलों का हाईप समान रूप से दोषी माना जाना चाहिए। बता बता के चीख चीख के जो माहौल दूर दूर तक नही था वह माहौल बना डाला।
बहुत सही।
ना राम रहीम कटघरे में खड़े होंगे ना ही कल जुदा होंगे कल फैसला एक जमीन पर होगा उससे ज्यादा कुछ नहीं यदि हम ये मान कर चले की कुछ नहीं होने वाला है और हम शांत रहेंगे तो सब कुछ ठीक होगा कोई भी मौहाल नहीं ख़राब कर सकता है |
देश के हर उस कोने से जहाँ हमारे शुभचिंतक रहते है फोन आ रहे है "अपना ख्याल रखना ,देखकर काम पर जाना"
पुराने जख्मों की टीस,अपनों को खोने का दर्द और अनजाना भय सताता है उनको और हमको भी ,फिर अगर वही मौत का तांडव हुआ,वही दहशतगर्दी ,सरेबाजार क़त्ल .....
ये देश विभाजन के साथ ही पैदा हुआ है...सांप्रदायिकता की ग्रंथि लेकिन पैदा हुए हैं हम....इसको जब भी कोई छू देगा दर्द होगा...कुछ सहिए..कुछ कहिए...और चलते रहिए....
मैं किसान हूं
आसमान में धान बो रहा हूं
वो कहते हैं
पगले आसमान में धान नहीं जमा करता
मैं कहता हूं जब जमीन पर भगवान जम सकता है तो आसमान में धान भी जम सकता है
और अब तो दोनों में से कोई एक होकर रहेगा
या तो आसमान में धान जमेगा या जमीन से भगवान उखड़ेगा
Here is a condition of wait and watch.we hope for the best but prepare for the worst.
sir i agree with u.
राम हो या रहीम...निःसंदेह दोनों ही पूज्यनीय हैं लेकिन क्या ऐसा नहीं कर सकते अनुरागजी.. कि 'एक दिल' तो भगवान् ने हम सभी को दिया ही हैं जहा पे सभी के भगवान् राम या रहीम रहते ही है तो क्यों ना हम सभी अपने लिए 'एक दिल और'... बना ले जिससे हमारे एक दिल में राम का घर बना ले और दूसरे दिल में रहीम का .....? मुझे पूर्ण विश्वाश हैं कि जो लोग शांति चाहते हैं कम से कम उन्होंने तो ऐसा ...कर ही लिया होगा l एक बात और... पता नहीं फैसला आने के बाद क्या होगा लेकिन .... अगर कुछ भी 'अनिष्ट' हुआ तो जो भी लोग इसके लिए दोषी होगे तो क्या उनके 'राम या रहीम' उन्हें कभी इस 'अनिष्टता' के लिए ...'माफ़' कर पायेगे ?यकीनन कभी भी नहीं ......क्यों कि सभी धर्म 'शांति' के मार्ग पे ही चलने की शिक्षा देते हैं l ये सीखने, समझने और चलने का सबसे अच्छा समय अब शुरू हो गया हैं ..कितना सीख पाए हैं, ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा ...l
शायद दोनों रहेंगे.
आप चिंता मत कीजिए.
ये हिन्दुस्तान है प्यारे.
अब दोनो ही रहेंगे।
माँ का प्रश्न तो जायज है...
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