(आज
25-05-2012 को ‘हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित)
थोड़ा कन्फ्यूज़
हूं कि ये स्वाभिमान के लिए यात्राओं का युग है या मन का वहम है। क्योंकि यात्रा
निकालने लायक स्वाभिमान किसी में बचा ही कहां है। यहां तो मंहगाई और भ्रष्टाचार ने
पहले ही सबके स्वाभिमान की यात्रा निकाली हुई है। वैसे भी आजकल समाज इतना सुरक्षित
नहीं बचा कि स्वाभिमान साथ लेकर सड़क पर निकलने का रिस्क उठाया जाए। चेन और मोबाइल
स्नेचिंग के बाद अब स्वाभिमान स्नेचिंग की बारी है। स्वाभिमान को लेकर आने वाले
समय में लूटपाट मचा करेगी मैं बता रहा हूं। जिसका अपना स्वाभिमान परचुन की दुकान
के उधार खाते में ज़ब्त हो चुका होगा वो जरूरत पड़ने पर दूसरे से लूटे स्वाभिमान
को औने-पौने दाम में बेचकर ही काम चला पाएगा। देख लेना, स्वाभिमानी आदमी का मदाम
तुसाद में मोम का पुतला लगा करेगा। यानि स्वाभिमान को मोम के पुतलों से संगरक्षित
करने का नया युग कॉल बेल बजा रहा है।
जमाना इतना बदल
गया है जी कि कभी यात्रा से नमक निकला था और अब नमक के लिए गरीब की अंतिम यात्रा निकलती
है। अब नमक के लिए स्वाभिमान बेचने का ज़माना है। सालों पहले बंगारू लक्ष्मण ने न
बेचा होता तो आज उन्हे कौन जानता भला। भोग-विलास के लिए आस्था का स्वाभिमान बेचकर
लोग स्वामी हो लिए हैं। अपराध की डिग्री लेकर लोग जेल मंत्री हो लिए हैं। मैच
फिक्सिंग के लिए क्रिकेट का स्वाभिमान बेचकर कितने ही खिलाड़ी क्रिकेट एक्सपर्ट बन
गए। पहले घर में रखा कबाड़ बेचकर भी नमक मिल जाता था, अब स्वाभिमान बेचकर भी
मुश्किल से मिलता है। वजह ये कि इधर नमक की खपत बढ़ गई है, पहले नमक आटे में खाया
जाता था अब नमक में आटा खाया जाता है। स्वाभिमान बेचने की दौड़ में हम स्विस्ट्ज़रलैंड
तक जा पहुंचे हैं और वहां हमने दूसरों से लूटा स्वाभिमान स्विस बैंक में जमा भी
करा दिया है।
अब सवाल ये कि जब स्वाभिमान नहीं बचेगा तो बेचेंगे क्या? देखिए साहब,
बेचने वालों को कोई टेंशन नहीं है। वो अपनी पर आ गए को देश भी बेच देंगे। अपनी खैर
तो खरीदने वाला मनाए, जिसका रिकॉर्ड सिर्फ परचुन की दुकान के उधार खातों में
मिलेगा। इसलिए तो कह रहा हूं कि मौजूदा हालात को देखते हुए यात्रा से स्वाभिमान के
वापस मिलने की उम्मीद करना डॉन को पकड़ने जैसा है।
(आज25-05-2012 को ‘हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित)
4 comments:
wah bhai,SWABHIMAAN ki waatt lagaa di aaj,woh parchun ki dukaan toh bataa do kahaa he,kaushish karke udhaari chukake fir se apna SWABHIMAAN thaile me bharkar ghar le aaye
सही कह रहे है आप, मेरे ख्याल से स्वाभिमान अपने स्वाभिमान के अश्तित्व को बचा ले वाही आज के समय में बहुत बड़ी बात होगी ...................
गागर में सागर लेख .. 'नमकीन' लेख के लिए बधाई स्वीकारें.. अगली बार कुछ 'मीठा' हो जाये .. ;)
गागर में सागर लेख .. 'नमकीन' लेख के लिए बधाई स्वीकारें.. अगली बार कुछ 'मीठा' हो जाये .. ;)
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